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23 दिसम्बर किसान दिवस

राष्ट्रीय किसान दिवस कहाँ छुपा के रख दूँ मैं अपने हिस्से की शराफ़त, जिधर भी देखता हूँ उधर बेईमान खड़े हैं, क्या खूब तरक्की कर रहा हैं अब देश देखिये, खेतो में बिल्डर और सड़को पर किसान खड़े हैं. भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जो कि किसान थे और किसानो की धड़कन कहे जाते थे | उनके जन्म दिवस को किसान दिवस के रूप में मनाया जाता हैं | सुनने में कई लोगो को अजीब लगता हैं कि किसान दिवस की क्या आवश्यक्ता हैं लेकिन इस बात को एक जश्न में रूप में ना देखे | सभी महत्वपूर्ण दिवस हमारा उस तरफ ध्यान ले जाने के लिए बनाये जाते हैं | देश के युवा एवम महानगर निवासी अपनी निजी जिन्दगी में इस तरह व्यस्त हैं कि उन्हें देश की स्थिती का भान ही नहीं हैं |वे यह बात समझ ही नहीं पा रहे हैं कि देश किस तरह से कृषि पर निर्भर करता हैं ? कैसे किसान की जिन्दगी उनके लिए भी महत्वपूर्ण हैं ? यह सभी बाते समझने एवम उन पर विचार करने के लिए आज के युवा के पास समय ही नहीं हैं ऐसे में किसान दिवस उन्हें यह सोचने पर मजबूर करता हैं और शायद केवल इस एक दिन के कारण देश का ध्यान इस ओर जाता हैं | दूसरा दृष्टिकोण उन किसानो के ल...
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कणाद ऋषि ,वैशेषिक दर्शन

अंग्रेज  हमारी चीजें पढ़ कर हमें पढ़ा रहे है वो भी अपने नाम से , कैसे दिन आ गये !! वैशेषिक सूत्र में गति के साथ साथ ब्रह्माण्ड , समय तथा अणु /परमाणु  का ज्ञान भी है जिसके  अंग्रेज भी बहुत दीवाने है देखिये , ये निम्न एक पीडीऍफ़ फाइल ये मुझे अमेरिका के एक कॉलेज की  साईट पर मिली इस संसार को गति के नियम महर्षि कणाद ने दिए है ना की कोई न्यूटन फ्यूटन ने । इतिहास सिद्ध है कि भारत का विज्ञान और धर्म अरब के रास्ते यूनान पहुंचा और यूनानियों ने इस ज्ञान के दम पर जो आविष्कार किए और सिद्धांत बनाए उससे आधुनिक विज्ञान को मदद मिली। लेकिन यह शर्म की बात है कि आधुनिक वैज्ञानिकों ने अपने पूर्ववर्ती वैज्ञानिकों को श्रेय देने के बजाया खुद को ही दिया। लेकिन सत्य सूरज की तरह होता है जो ज्यादा देर तक छिपा नहीं रह सकता।                     *** हमारे देश के स्कलों में गलत इतिहस पढ़ाया गया।***★ हम आज भी हम शिक्षा के रुप से अंग्रेजों के गुलाम हैं जो झुठ उन्होंने पढाया जो आज भी किताबो में छपती रहती है  रही बात तो अब भारत के युवाओं को स...

हिंदी दिवस

हिन्दी दिवस प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाता है। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी ही भारत की राष्ट्रभाषा होगी।  भारत देश अंग्रेजों की गुलामी से तो आजाद हो गया है लेकिन अंग्रेज़ियत की गुलामी, भाषा की गुलामी अभी भी इस देश में बरकरार हैं| मुझे ये कहते हुए बहुत दुख होता है, अपफसोस होता है दुर्भाग्य हमारे देश का ये है कि आजादी के 71 साल बाद भी देश आर्थिक रूप से गुलाम है , आजादी के 71 साल के बाद ये भाषा की गुलामी और अधिक बढ़ गई है, दुनिया में बहुत सारे देश अलग-अलग समय पर गुलाम हुए हैं। दुनिया में कुल 200 देश है। इनमें से 71 देशों का इतिहास ऐसा है जो अलग-अलग समय पर गुलाम हुए हैं। गुलामी के लंबे दौर को उन्होंने झेला है, भोगा है। हमारे बहुत सारे पडोसी देश है, चीन भी  काफी लम्बे समय तक गुलाम रहा है, मलेशिया गुलाम रहा है मिस्त्र गुलाम रहा है, इंडोनेशिया गुलाम रहा है, बर्मा गुलाम रहा है, श्रीलंका गुलाम रहा है और थोड़ा दूर में चले तो ब्राजील, मैल्सिको, चिली, को स्टारेपफा, कोलम्बिया, क्यूबा जैसे देश अलग-अलग समय पर गुलाम हुए हैं। जापान गुलाम हुआ, ची...

झूठे विज्ञापन

 के सहारे भारत में अरबों रुपए का कारोबार , विज्ञापन में उत्पाद की सही जानकारी न देकर उपभक्ताओं को मूर्ख बनाने का प्रयत्न किया जा रहा  है ओर  झूठे वादे किये गए हैं, तो कहीं न कहीं इन विज्ञापनों के प्रस्तुतकर्ता समाज को धोखा दे रहे हैं और यक़ीनन इनके दुष्परिणाम हो सकते हैं | विशेष रूप से छोटे बच्चों की मानसिकता के साथ खिलवाड़ कर उन्हें अपने जाल में फंसाना बहुत ही अनैतिक है ,  विज्ञापन के सहारे चल रहे हैं। विज्ञापनों में वास्तविकता से दूर दूर तक कोई नाता नहीं होता है। विज्ञापनों को इस तरह दिखाया जाता है कि बिना उसके आपका काम नहीं हो सकता। यहां तक कि ऐसे विज्ञापनों में फिल्मी सितारों और खिलाड़ियों को भी धड़ल्ले से झूठ बोलते देख सकते हैं।विज्ञापन में दिखाए जाने वाले समस्या आपके जीवन की आम समस्या होती है, जिससे आप परेशान रहते हैं। अचानक कोई फिल्मी सितारा आता है किसी प्रोडक्ट के साथ और चुटकी बजाते ही समस्या हल कर देता है।बस आप उसमें फंस जाते हैं और हाथ मलने और फिल्मी सितारों को कोसने के सिवा कोई रास्ता नहीं बचता। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।    केंद्र सरकार एक ऐस...

यूरेनियम का सबसे बड़ा भंडार भारत में!

दुनिया के कुछ ही चुनिंदा देशों में यूरेनियम पाया जाता है, जहां इनका उत्खनन होता है। वही दुनिया की सबसे बड़ी यूरेनियम की खान आंध्र प्रदेश में मिली है  , बहुत जल्‍द देश में बिजली की समस्‍या हल हो जायेगी या फिर हो सकता है परमाणु शक्ति के मामले में भारत सबसे ऊपर आ जाये। वही ऐतीेहास मैं 1971 मैं भारत के यूरेनियम बेचने के कारोबारी के प्रस्ताव से अमेरिका में मची थी खलबली, यह सब इसलिए क्‍योंकि आंध्र प्रदेश में दुनिया की सबसे बड़ी यूरेनियम की खान मिली है। वैज्ञानिकों के मुताबिक विश्‍व में सबसे ज्‍यादा यूरेनियम का भंडार यहां है। यहां करीब 150,000 टन यूरेनियम है, जो पूरे देश की बिजली की समस्‍या को खत्‍म कर सकती है।   वैसे देखे तो भारत देश के लिए प्रकृति की सौगात है और हमें इसके सदोपयोग में जरा भी नहीं चूकना चाहिये। न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप (एनएसजी)NSG  का मेंबर बनने से देश को  फायदा होगा , कई उपकरण हम दुनिया से खरीद सकेंगे। यहां इंवेस्टमेंट बढ़ेगा। सबसे बड़ी बात - दुनिया में भारत को  अलग नजरिए से देखा जाएगा।

जीएसटी में चूक

' से गिर गई देश की जीडीपी तीन साल के निचले स्तर पर पहुंची गई विकास दर 7.6 फीसदी 5.7फीसदी हो गई कई छोटी कंपनियों और व्यापारियों को नई टैक्स नियमों से जूझना पड़ रहा है व्ही भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, इतिहास पर नजर डालें तो पहले भारत ऐसा नहीं था भारत एक समय मे सोने की चिडिया कहलाता था,  पहली सदी से लेकर चौदहवी सदी तक भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। पहली सदी में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) विश्व के कुल जीडीपी का 32.9 फीसदी था  ओर सन सत्रहवीं सदी मैं ये 24.4 %फीसदी था , व्ही ब्रिटिश काल में भारत की अर्थव्यवस्था का जमकर शोषण व दोहन हुआ जिसके फलस्वरूप 1947 में आज़ादी के समय में भारतीय अर्थव्यवस्था अपने सुनहरी इतिहास का एक खंडहर मात्र रह गई। ओर 21 वी सदी मैं मात्र 5.7 फीसदी ही रह गई है ओर भारत के रुपए का अमरीकी डॉलर के मुकाबले गिरना लगातार जारी है लेकिन क्या यह चिंता की बात है? अगर हाँ तो इसे संभालेगा कौन? ,बड़ा ही सीधी सी थियरी है. भारत के पास जितना कम डॉलर होगा, डॉलर का मूल्य उतना बढ़ेगा! भारत या कोई भी देश अपने ...

पश्चिम_बंगाल_एक_ऐसे_भंवर_में_फंसता_जा_रहा__है

 जो पहले कभी नहीं देखा गया ,ये सब ममता बनर्जी की सरकार की वजह से हो रहा है एकतरफा वोट बैंक की राजनीती ने बंगाल को जला डाला है ,ममता बनर्जी का हाथ उन जिहादी मानसिकता वाले मुसलमानों के ऊपर है जिस वजह से वो आज बंगाल में तांडव मचाए हुए हैं.मुगलों के समय ऐसा हिन्दुओं के साथ नही हुआ होगा जो आज बंगाल में हिन्दू झेल रहा है ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब बंगाल से कश्मीर की तरह हिन्दू भगा दिया जाएगा.बंगाल की सबसे बड़ी समस्या है बंगलादेश से आए मुसलमान जिनके ऊपर है ममता का हाथ.बंगलादेशी मुसलमानों को जिस तरह से वोट बैंक के लिए ममता बनर्जी ने बंगाल में घुसने दिया उसी वजह से आज बंगाल अशांत हुआ पड़ा है,ऐसा ही रहा तो बंगाल आने वाले वक़्त में इस्लामिक राज्य बनेगा ,बंगलादेश से आए मुसलमान जो अब बंगाल में हैं वो बहुत ही आक्रामक हैं.शुरू में जब वो आए थे तो बहुत शांत थे हिन्दुओं ने उन्हें अपना लिया था लेकिन बाद में जैसे जैसे उनकी जनसख्याँ ज्यादा होती गयी तो वो आक्रामक होते गये एक वोट बैंक बना गया वो धीरे धीरे ममता सरकार का जिस वजह से उन्हें कुछ भी करने की आज़ादी मिल गयी,  जैसे सोनिया गांधी इ...