' से गिर गई देश की जीडीपी
तीन साल के निचले स्तर पर पहुंची गई विकास दर 7.6 फीसदी
5.7फीसदी हो गई कई छोटी कंपनियों और व्यापारियों को नई टैक्स नियमों से जूझना पड़ रहा है व्ही भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है,
इतिहास पर नजर डालें तो पहले भारत ऐसा नहीं था भारत एक समय मे सोने की चिडिया कहलाता था, पहली सदी से लेकर चौदहवी सदी तक भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। पहली सदी में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) विश्व के कुल जीडीपी का 32.9 फीसदी था ओर सन सत्रहवीं सदी मैं ये 24.4 %फीसदी था , व्ही ब्रिटिश काल में भारत की अर्थव्यवस्था का जमकर शोषण व दोहन हुआ जिसके फलस्वरूप 1947 में आज़ादी के समय में भारतीय अर्थव्यवस्था अपने सुनहरी इतिहास का एक खंडहर मात्र रह गई। ओर 21 वी सदी मैं मात्र 5.7 फीसदी ही रह गई है ओर
भारत के रुपए का अमरीकी डॉलर के मुकाबले गिरना लगातार जारी है लेकिन क्या यह चिंता की बात है? अगर हाँ तो इसे संभालेगा कौन? ,बड़ा ही सीधी सी थियरी है. भारत के पास जितना कम डॉलर होगा, डॉलर का मूल्य उतना बढ़ेगा! भारत या कोई भी देश अपने ज़रूरत की वस्तुए या तो खुद बनाते हैं या उन्हें विदेशों से आयात करते हैं और विदेशो से कुछ भी आयात करने के लिए आपको उन्हें डॉलर में चुकाना पड़ता है! उदाहरण के तौर पर यदि किसी देश से आप तेल का आयात करना चाहते हैं तो उसका भुगतान आप रुपये में नही कर सकते. उसके लिए आपको अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य किसी मुद्रा का प्रयोग करना होगा. तो इसका मतलब ये है कि भारत को भुगतान डॉलर या यूरो में करना होगा ,काश कि ये देश रुपया स्वीकार कर लेते और हम जितने चाहे रुपये प्रिंट कर के उन्हें दे देते पर वास्तव में ऐसा नही है सवाल ये उठता है कि अंतरराष्ट्रीय खरीददारी करने के लिए हम डॉलर कहाँ से लायें! अपने देश में डॉलर या विदेशी मुद्रा विभिन्न माध्यमों से आती है
@निर्यात
@विदेशी निवेश
@विदेशो में रहने वाले भारतीय
रुपये को मजबूत करने के लिए क्या किया जा सकता है
@निर्यात बढ़ाया जाए
@स्वदेशी अपनाओ
,
मोटे तौर पे रुपये को मजबूती देने के लिए हूमें विदेशो से निवेश बढ़ाना होगा. विदेशी निवेशको के लिए अनुकूल माहौल का निर्माण करना होगा! इसके अलावे स्वदेशी अपनाना होगा. जिन चीज़ो को हम देश में बना सकते हैं उनका आयात बंद करना होगा! हर भारतीय को ईमानदारी के साथ भारत का विकास में योगदान देना होगा. उत्पादन जितना बढ़ेगा, निर्यात उतना अधिक होगा, जिससे हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी!,,,,,,,,,,,,,
आजकल गणेश की मूर्ति भी चीन से मगवाई जाती है
जबकी इसे हम अपने देश मे है बना सकते है एसक पीछे कोई बढ़ा रॉकेट साइंस तो नही पर हम ये चीज वेदेश से केओ मंगवा रहे है , जिससे देश को गरीब ओर आर्थिक तंगी आपदा का सामना करना पड़ता है
ऐसी बहुत सारे चीजे है जो हम खुद बना सकते है जिसे वीदेशो से मंगवाने की जरूरत नही है और देश महा सक्ती बन सकता है
तीन साल के निचले स्तर पर पहुंची गई विकास दर 7.6 फीसदी
5.7फीसदी हो गई कई छोटी कंपनियों और व्यापारियों को नई टैक्स नियमों से जूझना पड़ रहा है व्ही भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है,
इतिहास पर नजर डालें तो पहले भारत ऐसा नहीं था भारत एक समय मे सोने की चिडिया कहलाता था, पहली सदी से लेकर चौदहवी सदी तक भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। पहली सदी में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) विश्व के कुल जीडीपी का 32.9 फीसदी था ओर सन सत्रहवीं सदी मैं ये 24.4 %फीसदी था , व्ही ब्रिटिश काल में भारत की अर्थव्यवस्था का जमकर शोषण व दोहन हुआ जिसके फलस्वरूप 1947 में आज़ादी के समय में भारतीय अर्थव्यवस्था अपने सुनहरी इतिहास का एक खंडहर मात्र रह गई। ओर 21 वी सदी मैं मात्र 5.7 फीसदी ही रह गई है ओर
भारत के रुपए का अमरीकी डॉलर के मुकाबले गिरना लगातार जारी है लेकिन क्या यह चिंता की बात है? अगर हाँ तो इसे संभालेगा कौन? ,बड़ा ही सीधी सी थियरी है. भारत के पास जितना कम डॉलर होगा, डॉलर का मूल्य उतना बढ़ेगा! भारत या कोई भी देश अपने ज़रूरत की वस्तुए या तो खुद बनाते हैं या उन्हें विदेशों से आयात करते हैं और विदेशो से कुछ भी आयात करने के लिए आपको उन्हें डॉलर में चुकाना पड़ता है! उदाहरण के तौर पर यदि किसी देश से आप तेल का आयात करना चाहते हैं तो उसका भुगतान आप रुपये में नही कर सकते. उसके लिए आपको अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य किसी मुद्रा का प्रयोग करना होगा. तो इसका मतलब ये है कि भारत को भुगतान डॉलर या यूरो में करना होगा ,काश कि ये देश रुपया स्वीकार कर लेते और हम जितने चाहे रुपये प्रिंट कर के उन्हें दे देते पर वास्तव में ऐसा नही है सवाल ये उठता है कि अंतरराष्ट्रीय खरीददारी करने के लिए हम डॉलर कहाँ से लायें! अपने देश में डॉलर या विदेशी मुद्रा विभिन्न माध्यमों से आती है
@निर्यात
@विदेशी निवेश
@विदेशो में रहने वाले भारतीय
रुपये को मजबूत करने के लिए क्या किया जा सकता है
@निर्यात बढ़ाया जाए
@स्वदेशी अपनाओ
,
मोटे तौर पे रुपये को मजबूती देने के लिए हूमें विदेशो से निवेश बढ़ाना होगा. विदेशी निवेशको के लिए अनुकूल माहौल का निर्माण करना होगा! इसके अलावे स्वदेशी अपनाना होगा. जिन चीज़ो को हम देश में बना सकते हैं उनका आयात बंद करना होगा! हर भारतीय को ईमानदारी के साथ भारत का विकास में योगदान देना होगा. उत्पादन जितना बढ़ेगा, निर्यात उतना अधिक होगा, जिससे हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी!,,,,,,,,,,,,,
आजकल गणेश की मूर्ति भी चीन से मगवाई जाती है
जबकी इसे हम अपने देश मे है बना सकते है एसक पीछे कोई बढ़ा रॉकेट साइंस तो नही पर हम ये चीज वेदेश से केओ मंगवा रहे है , जिससे देश को गरीब ओर आर्थिक तंगी आपदा का सामना करना पड़ता है
ऐसी बहुत सारे चीजे है जो हम खुद बना सकते है जिसे वीदेशो से मंगवाने की जरूरत नही है और देश महा सक्ती बन सकता है
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें