हिन्दी दिवस प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाता है। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी ही भारत की राष्ट्रभाषा होगी।
भारत देश अंग्रेजों की गुलामी से तो आजाद हो गया है लेकिन अंग्रेज़ियत की गुलामी, भाषा की गुलामी अभी भी इस देश में बरकरार हैं| मुझे ये कहते हुए बहुत दुख होता है, अपफसोस होता है दुर्भाग्य हमारे देश का ये है कि आजादी के 71 साल बाद भी देश आर्थिक रूप से गुलाम है , आजादी के 71 साल के बाद ये भाषा की गुलामी और अधिक बढ़ गई है, दुनिया में बहुत सारे देश अलग-अलग समय पर गुलाम हुए हैं। दुनिया में कुल 200 देश है। इनमें से 71 देशों का इतिहास ऐसा है जो अलग-अलग समय पर गुलाम हुए हैं। गुलामी के लंबे दौर को उन्होंने झेला है, भोगा है। हमारे बहुत सारे पडोसी देश है, चीन भी काफी लम्बे समय तक गुलाम रहा है, मलेशिया गुलाम रहा है मिस्त्र गुलाम रहा है, इंडोनेशिया गुलाम रहा है, बर्मा गुलाम रहा है, श्रीलंका गुलाम रहा है और थोड़ा दूर में चले तो ब्राजील, मैल्सिको, चिली, को स्टारेपफा, कोलम्बिया, क्यूबा जैसे देश अलग-अलग समय पर गुलाम हुए हैं। जापान गुलाम हुआ, चीन गुलमा हुआ है। दुनिया में कैसे कुल 71 देश हैं जो अलग-अलग समय पर किसी न किसी के गुलाम हुए हैं। कोई अंग्रेजों का गुलाम हुआ, कोई फ़्रांसीसियों का गुलाम हुआ, कोई डच लोगों का गुलाम हुआ जिनको हालैंड निवासी कहा जाता है, कोई स्पेनिश लोगों का गुलाम हुआ, कोई पुतर्गालियों का गुलाम हुआ। अलग-अलग समय पर बहुत सारे देश गुलाम हुए हैं लेकिन गुलामी के बाद उन सभी देशों ने सबसे पहले अपनी मातृ-भाषा को स्थापित कराया है और सबसे पहले अपनी मातृभाषा को अपनाया है, और उसके बाद वो देश आजादी की राह पर इतने आगे बढे, तेजी से भारत से भी बहुत आगे निकल गए हैं
उदहारण के तौर पर
हमारा पडौसी देश है- चीन जिसकी आजादी हमसे दो साल बाद आई है। हम तो 1947 में आजाद हो गए लेकिन चीन तो 1949 में जाकर एक बड़ी क्रान्ति के बाद आजाद हुआ। लेकिन चीन हमसे कई गुणा आगे निकल चुका है- आर्थिक रूप से, सामाजिक रूप से और वैश्विक ताकत के रूप में सारी दुनिया में चीन का डंका अभी बज रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति को चीन में जाकर चीन की सरकार को सलामी देनी पड़ रही है, चीन की सरकार को नमस्ते करनी पड़ रही है। कभी भी ऐसा दुनिया में नहीं हुआ कि अमेरिका का राष्ट्रपति चीन में जाकर चीन को सलामी दे लेकिन अभी अमेरिकी राष्ट्रपति ये कहते हैं कि सारी दुनिया में अभी ताकत के रूप में जो सबसे महत्वपूर्ण देश उभर रहा है वो चीन। ये चीन 1949 तक भूखमरी का शिकार था, दुनिया में सबसे पीछे गिने जाने वाले देशों में गिना जाता था, आज उसकी अर्थवयव्स्था बहुत तेज है, समाज व्यवस्था बहुत बेहतर है
भारत को भी अपानी भाषा अपनाकर वीकास की ओर अग्रसर होने चाहिए क्युकी हम भारतीय हिंदी अपनाकर बहुत कुछ कर सकते है
भारत देश अंग्रेजों की गुलामी से तो आजाद हो गया है लेकिन अंग्रेज़ियत की गुलामी, भाषा की गुलामी अभी भी इस देश में बरकरार हैं| मुझे ये कहते हुए बहुत दुख होता है, अपफसोस होता है दुर्भाग्य हमारे देश का ये है कि आजादी के 71 साल बाद भी देश आर्थिक रूप से गुलाम है , आजादी के 71 साल के बाद ये भाषा की गुलामी और अधिक बढ़ गई है, दुनिया में बहुत सारे देश अलग-अलग समय पर गुलाम हुए हैं। दुनिया में कुल 200 देश है। इनमें से 71 देशों का इतिहास ऐसा है जो अलग-अलग समय पर गुलाम हुए हैं। गुलामी के लंबे दौर को उन्होंने झेला है, भोगा है। हमारे बहुत सारे पडोसी देश है, चीन भी काफी लम्बे समय तक गुलाम रहा है, मलेशिया गुलाम रहा है मिस्त्र गुलाम रहा है, इंडोनेशिया गुलाम रहा है, बर्मा गुलाम रहा है, श्रीलंका गुलाम रहा है और थोड़ा दूर में चले तो ब्राजील, मैल्सिको, चिली, को स्टारेपफा, कोलम्बिया, क्यूबा जैसे देश अलग-अलग समय पर गुलाम हुए हैं। जापान गुलाम हुआ, चीन गुलमा हुआ है। दुनिया में कैसे कुल 71 देश हैं जो अलग-अलग समय पर किसी न किसी के गुलाम हुए हैं। कोई अंग्रेजों का गुलाम हुआ, कोई फ़्रांसीसियों का गुलाम हुआ, कोई डच लोगों का गुलाम हुआ जिनको हालैंड निवासी कहा जाता है, कोई स्पेनिश लोगों का गुलाम हुआ, कोई पुतर्गालियों का गुलाम हुआ। अलग-अलग समय पर बहुत सारे देश गुलाम हुए हैं लेकिन गुलामी के बाद उन सभी देशों ने सबसे पहले अपनी मातृ-भाषा को स्थापित कराया है और सबसे पहले अपनी मातृभाषा को अपनाया है, और उसके बाद वो देश आजादी की राह पर इतने आगे बढे, तेजी से भारत से भी बहुत आगे निकल गए हैं
उदहारण के तौर पर
हमारा पडौसी देश है- चीन जिसकी आजादी हमसे दो साल बाद आई है। हम तो 1947 में आजाद हो गए लेकिन चीन तो 1949 में जाकर एक बड़ी क्रान्ति के बाद आजाद हुआ। लेकिन चीन हमसे कई गुणा आगे निकल चुका है- आर्थिक रूप से, सामाजिक रूप से और वैश्विक ताकत के रूप में सारी दुनिया में चीन का डंका अभी बज रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति को चीन में जाकर चीन की सरकार को सलामी देनी पड़ रही है, चीन की सरकार को नमस्ते करनी पड़ रही है। कभी भी ऐसा दुनिया में नहीं हुआ कि अमेरिका का राष्ट्रपति चीन में जाकर चीन को सलामी दे लेकिन अभी अमेरिकी राष्ट्रपति ये कहते हैं कि सारी दुनिया में अभी ताकत के रूप में जो सबसे महत्वपूर्ण देश उभर रहा है वो चीन। ये चीन 1949 तक भूखमरी का शिकार था, दुनिया में सबसे पीछे गिने जाने वाले देशों में गिना जाता था, आज उसकी अर्थवयव्स्था बहुत तेज है, समाज व्यवस्था बहुत बेहतर है
भारत को भी अपानी भाषा अपनाकर वीकास की ओर अग्रसर होने चाहिए क्युकी हम भारतीय हिंदी अपनाकर बहुत कुछ कर सकते है
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